जब बन्व ओरसे हावा मन्द मन्द आइट तब इ मनम दोसर मेरके आनन्द आइट जीवजन्तु चिरैं चुरुङ्गनके मीठ बोलिसंग चारूओर मेरमेरिक फुलक सुगंध आइट प्रकृति ओ साहित्य ओस्त ओस्त लागट ओमसे बहर ओ कविताक छन्द आइट बन्वा कुल्वा लडिया हिमाल पहार देक्ख आपन ड्याश प्रती अप्नह घमण्ड आइट श्याम शराबी, राजापुर